गंदे शिविरों में इस तरह की जिंदगी जीने के लिए मजबूर हैं म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमान

46 वर्षीय अब्दुरहीम शिविर में रोजमर्रा की जिंदगी से डरते है. बिखरे समुदाय, मुक्त आवाजाही पर प्रतिबंध और राहत शिविरों पर निर्भरता उनके बच्चों की जिंदगी पर हमेशा असर डालेगी.

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